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        एसएलयूआइ के बारे में

अखिल भारतीय मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण (अब भारतीय मृदा एवं भू-उपयोग सर्वेक्षण के रूप में) कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के तहत 1958 में स्थापित किया गया है, यह मिट्टी और देश में भूमि संसाधन मानचित्रण सर्वेक्षण के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है. यह संगठन राज्य उपयोगकर्ता विभागों और अन्य सरकारी / अर्ध सरकारी / गैर - सरकारी संगठनों के लिए भूमि आधारित विकास कार्यक्रमों के लिए ध्वनि डेटा बेस के साथ विभिन्न प्रकार और तीव्रता के मिट्टी सर्वेक्षण आयोजकरने में गा है.  यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रभाग, कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय (भारत सरकार) के अधीनस्थ विभाग है. संगठन नई दिल्ली में अपने मुख्यालय से सात केन्द्रों बंगलौर, कोलकाता, नागपुर, उत्तरी (नोएडा), अहमदाबाद, हैदराबाद और रांची में स्थित के माध्यम से चल रहा है.

संगठन का अधिदेश  प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के लिए वाटरशेड आधार कार्यक्रम में मृदा और जल संरक्षण के लिए विभिन्न राज्य उपयोगकर्ता विभागों के योजना और कार्यान्वयन के लिए मिट्टी और भूमि विशेषता पर विस्तृत वैज्ञानिक डेटाबेस प्रदान करना है.


कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय को मानक मृदा सर्वेक्षण और भारतीय मृदा एवं भू-उपयोग सर्वेक्षण (SLUSI) के मानचित्रण के माध्यम से मृदा और भूमि संसाधनों के डेटाबेस की जिम्मेदारी का कार्य सौंपा गया है संगठन के उद्देश्यों और जिम्मेदारियों  इस प्रकार हैं

  1. उन्नत तकनीक का उपयोग कर नदी घाटी परियोजना (RVP) और बाढ़ प्रवण नदी (FPR) जलग्रहण और गैर RVP जलग्रहण समेत उप वाटरशेड के उच्च तलछट भार उपज/ अपवाह की पहचान और सीमांकन करने के लिए रैपिड टोही सर्वेक्षण
  1. जल प्रबंधन योजना और विभिन्न अन्य प्रयोजनों के कार्यान्वयन और तैयारी के लिए हिंसक क्षेत्रों, लवणीय क्षार भूमि और पुनर्वास आदि में कुछ विशेष विकास कार्यक्रमों के लिए प्राथमिक उप वाटरशेड में विस्तृत मृदा सर्वेक्षण कर विभिन्न भूमि उपयोग और व्याख्याओं के लिए विशेषताओं, वर्गीकरण और मिट्टी और इलाके की साइट विशेषताओं के गुणों पर विस्तृत डेटा प्रदान करना
  1. सुदूर संवेदन तकनीक का उपयोग कर भूमि क्षरण के जिला स्तर पर मानचित्रण
  1. सुदूर संवेदन और हवाई फोटो व्याख्या में मृदा सर्वेक्षण, प्राथमिकता चित्रण, भूमि उपयोग की समस्याओं के आकलन, भूमि क्षरण, आदि की दक्षता और सटीकता की वृद्धि के लिए उन्नत तकनीकों के विकास को बढ़ावा देन
  1. राज्यों और अन्य केन्द्रीय मृदा सर्वेक्षण संगठन, राष्ट्रीय स्तर मृदा सहसंबंध में भागीदारी, वर्गीकरण, मृदा सर्वेक्षण रिपोर्ट की प्रस्तुति और प्रक्रियाओं में एकरूपता और व्याख्या का मृदा सर्वेक्षण गतिविधियों के साथ समन्वय
  1. मृदा और भूमि संसाधन मानचित्रण में रिमोट सेंसिंग का अनुप्रयोग के लिए अंतरिक्ष विभाग के साथ सहयोग
  1. जीआईएस का उपयोग कर नक्शा पुस्तकालय का आर वी पी/एफ पी आर जलग्रहण के संबंध में विकास
  2. जीआईएस का उपयोग कर भारत के डिजिटल वाटरशेड एटलस का विकास
  3. राज्य प्रयोक्ता विभागों के अधिकारियों के लिए वार्षिक लघु कोर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम
  4. सुदूर संवेदन (Remote Sensing) तकनीक का उपयोग कर मिट्टी और भूमि संसाधन का मानचित्रण
  1. जीआईएस और आरडीबीएमएस का उपयोग कर मिट्टी सूचना प्रणाली का विकास
  2. कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी और नवीन काम जोकि योजना की अवधि के दौरान सौंपा जा सकता है